कुबेर को कर दिया आपने, सारी सम्पति का अधिकारी।।
अपने पास पात्र नहीं रखा, मग्न रहे बाघाम्बर में।
ऐसे दीन दयाल मेरे शम्भू, भरो खजाना पल भर में।।
अमृत तोे देवताओ को दे दिया, आप हलाहल पाल किया।
ब्रहमज्ञान दे दिया उसी को, जिसने शिव तेरा ध्यान किया।।
भागीरथ को दे दी गंगा, सब जग ने स्नान किया।
बड़े बड़े पापियों को तारा, पल भर में कल्याण किया।।
आप नशे में मस्त रहो, पियो भंग नित खप्पर में।
ऐसे दीन दयाल मेेरे शम्भु, भरो खजाना पल भर में।।
लंका तो रावण को दी, बीस भुजा दस शीश दिए।
रामचन्द्र को धनुष बाण, और हनुमत को जगदीश दिए।।
मनमोहन को दे दी मोहनी, और मुकुट बख्शीश् दिए।
मुक्त हुए काशी के वासी भक्ति में जगदीश दिए।।
आप नशे में मस्त रहो, पियो भंग नित खप्पर में।
ऐसे दीन दयाल मेरे प्रभु भरो खजाना पल भर में।।
वीण तो नारद को दे दी, हरि भजन को राग दिया।
ब्रहामण को कर्मकाण्ड, और सन्यासी को त्याग दिया।।
जिस पर तुमरी कृपा भई, उसी को अनगन राग दिया।
जिसने ध्याया उसी ने पाया महादेव तेरे वर में।।
आप नशे में मस्त रहो, पियो भंग नित खप्पर में।
ऐसे दीन दयाल मेरे प्रभु भरो खजाना पल भर में।।
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