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पद्मिनी एकादशी - padmini ekadashi vrat katha

 



पद्मिनी एकादशी 

मलमास या पुरूषोतम मास की कृष्ण एकादशी को पद्मिनी एकादशी कहते है। इसमें राधा कृष्ण तथा शिव पार्वती के पूजन का विधान है।

व्रत की कथा

लंकापति रावण जब दिग्विजय करने निकला तो वह कार्त्तवीर्य सहस्रार्जुन से पराजित हो गया। इस प्रकार बहुत दिनों तक वह उसके कारागार में बन्दी रहा। अन्त में अगस्त्य मुनि की अनुशंसा से बंधन मुक्त हुआ। देवर्षि नारद को इस पराजय से बड़ी प्रसन्नता हुई। उन्होंने पुलस्त्य मुनि से ही रावण की हार का कारण पुछा। मुनि ने बताया कि कार्त्तवीर्य सहस्रार्जुन को पराजित करने की शक्ति विष्णु के सिवा किसी अन्य में नहीं है कारण यह है कि इसकी माता पद्म्निी तथा पिता ने पुत्र कामना से गंधमादन पर्वत पर अनेक वर्षो तक कठोर तपस्या की थी तथा महासती अनुसूया देवी के कहने पर रानी पद्मिनी ने श्ुाक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत किया था। उनके व्रत से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने स्वंय दर्शन दिया था और उन्हsaaza परमवीर पुत्र तथा अजय होने का वरदान भी दिया था। यही कारण है कि रानी पद्मिनी के पुत्र से रावण को भी पराजित होना पड़ा।

पद्मिनी एकादशी - padmini ekadashi vrat katha  पद्मिनी एकादशी - padmini ekadashi vrat katha  Reviewed by Shiv Rana RCM on December 22, 2020 Rating: 5

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