श्रीमद भगवद गीता पाठ का फल - Bhagwat Geeta Path Ka Phal
गीता के गायक आनन्द कन्द भगवान कृष्ण ने गीता के अठारहवें अध्याय में कहा है कि जो कोई दूसरों को गीता सुनाता है, स्वयं पढ़ता है अथवा सुनता है, वह मुझे अति प्रिय होता है और अन्त समय में वह मुझे ही प्राप्त होता है अर्थात् मोक्ष और स्वर्गादि शुभ लोको को प्राप्त करता है।
गीता का एक-एक वाक्य इतना ज्ञानपूर्ण है कि भवसागर से पार उतरने वालों के लिए नौका के समान है। जो स्वयं न पढ़ सकें वे सुनकर पुण्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं तथा जो स्वयं पढ़ें और दूसरों को सुनाएं उनके तो कहने की क्या! गीता की पुस्तकें मात्र बांटने से भी पुण्य लाभ होता है। अपनी सामथ्र्य औ श्रद्धा-भक्ति अनुसार जो जितना शुभ कर्म करता है, उतना ही शुभ फल प्राप्त होता है।
गीता के किस अध्याय के पाठ से क्या-क्या प्राप्ति होती है, इसका परिचय हरेक अध्याय के अन्त में दिए हुए महात्म्य को पढ़कर आप स्वयं ही जान सकते है।
गीता सारे उपनिषदों का सार है। इस का मनन एवं चिन्तन करने के बाद और कुछ पढ़ने की आवश्यकता नहीं रहती गीता में भक्तों के लिए भक्ति, योगियो के लिए योग तथा ज्ञानियो के लिए ज्ञान सभी कुछ सुलभ है। आप भी इस कामधेनु से मनचाही वस्तु प्राप्त कर सकते है। आवश्यकता है भगवान् में एकनिष्ठ श्रद्धा भक्ति की यह शास्त्र संन्यासियो और योगियो के लिए ही है, यह सोचना भूल है। यह तो उन सभी के लिए है जो अपने जीवन में सुख-समृद्धि और शान्ति चाहते है।
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